जवानी में पक गए बाल? कुछ भ्रम दूर कर लें

जवानी में पक गए बाल? कुछ भ्रम दूर कर लें

सेहतराग टीम

बालों का पकना एक समान्‍य प्रक्रिया है जो उम्र के साथ घटित होती है मगर कई लोगों के बाल बचपन से लेकर जवानी आते-आते ही पक जाते हैं। इसके कारण उनका पूरा व्‍यक्तित्‍व प्रभावित होता है और कई बार उनमें हीनभावना हाती है। बालों को काला करने के लिए रासायनिक डाई का इस्‍तेमाल करना पड़ता है जो समस्‍या को और बढ़ा ही देते हैं। इस बारे में कुछ सामान्‍य सवाल और उनके जवाब हम यहां दे रहे हैं।

सवाल: मेरे अस्‍सी प्रतिशत बाल सफेद हो गए हैं। क्‍या इन्‍हें इलाज के जरिये काला किया जा सकता है?

उत्‍तर: बालों का कालापन मेलानिन नामक तत्‍व के कारण होता है जो शरीर में मेलोनोसाइट नामक कोशिका से बनता है। इसके बनने की प्रक्रिया में कई हारमोन व प्रोटीन तत्‍व भाग लेते हैं। बालो के सफेद होने का कारण वंशानुगत भी होता है। बाल एक बार सफेद होने के बाद डाई के अतिरिक्‍त किसी और तरीके से काले नहीं किए जा सकते। बाकी बालों को सफेद होने से रोकने के लिए उनका उचित रख-रखाव किया जा सकता है। प्रोटीन, विटामिन और खनिज तत्‍व युक्‍त संतुलित भोजन लें। शरीर में किसी प्रकार की कमी की आशंका को दूर करने के लिए एक बार संपूर्ण जांच करवा लें।

प्रश्‍न: बचपन से ही मेरे अधिकांश बाल सफेद हैं। अब और तेजी से सफेद होते जा रहे हैं। क्‍या डाई या मेहंदी हानिकारक होती है?

उत्‍तर: बालों का स्‍वास्‍थ्‍य और रंग जीन से संबद्ध होता है। बालों को काला रखने वाले मेलानिन पर कुछ हारमोन बनाने वाली ग्रंथियों का भी नियंत्रण रहता है। इस रंग को बनाने वाली कोशिकाओं की संख्‍या भी हर व्‍यक्ति में अलग-अलग होती है। आहार में विटामिन व प्रोटीन की कमी भी इसपर असर डालती है। इसके अलावा कुछ दवाओं के सेवन के कारण भी बाल जल्‍दी सफेद हो जाते हैं। रासायनिक डाई का इस्‍तेमाल करना उचित नहीं है क्‍योंकि ये बहुत नुकसान देह होते हैं।

प्रश्‍न: जन्‍म से ही मेरा पूरा शरीर रंगव‍िहीन है। सारे बाल सफेद हैं और आंखों में भी कोई रंग नहीं है। ये कौन सा रोग है और इसका क्‍या इलाज है?  

उत्‍तर: त्‍वचा, आंख की झिल्‍ली और बालों के रंगविहीन की स्थिति को एलवीनिज्‍म कहते हैं। यह जन्‍मजात रोग है। इस रोग में शरीर की रंग बनने वाली प्रक्रिया पूरी तरह समाप्‍त हो जाती है। इसमें त्‍वचा का कैंसर होने का खतरा भी रहता है। जहां तक इलाज का सवाल है तो इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है।

(डॉक्‍टर एम.पी. श्रीवास्‍तव और डॉक्‍टर संजय श्रीवास्‍तव की किताब ‘सवाल आपके जवाब डॉक्‍टर के’ से साभार)

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